उत्साह(प्रेरणा)
उत्साह(प्रेरणा)
मैं आपको एक सिद्धांत बताता हूं वह सिद्धांत है
उत्साह मैंने इसे हर परिस्थितियों में आजमाया है जिस व्यक्ति के अंदर उत्साह नहीं
होता जो अंदर से हतोत्साहित होता है वह दूसरों को उत्साहित नहीं कर पाता जो स्वयं
उत्साहित होता है वो लीडर होता है ऐसे लोगों के साथ अनेक अनुयायी खड़े हो जाते
हैं।
यदि आपके आसपास कोई संगठन है या व्यवसाय हो जो
अपने लक्ष्य से भटक गया हो या व्यवसाय बंद हो गया हो तो क्या पता उसको पुनर्जीवित
करने के लिए उत्साह की जरूरत हो,
हो सकता है उसके कर्मचारियों में उत्साह की कमी
हो, कर्मचारियों में उत्साह उनके मालिक के प्रभाव से आता है अगर उसका मालिक
उत्साहित होगा तो कर्मचारी भी उत्साहित ही होंगे।
अगर हम किसी व्यवसाय या संगठन को फिर से खड़ा
करने की सोच रहे हैं तो हमें उससे संगठन या व्यवसाय की पूर्ण जानकारी व उसको शुरू
होने से लेकर बंद होने तक की जानकारी हमारे पास होना चाहिए, फिर हमें पुराने
कर्मचारियों व नए कर्मचारियों व वर्करों से फीडबैक लेकर कार्य योजना तैयार करके
अपने व्यवसाय व संगठन को खड़ा करना चाहिए हम गारंटी से कह सकते हैं कि संगठन व
व्यवसाय में जब उत्साह जुड़ जाएगा तो संगठन व व्यवसाय दिन रात तरक्की जरूर करेगा।
इस चमन में
रोज नए फूल खिलते हैं।
हर डाल पर
यों सुनहरे पंछी चहकते है।
जरा अपनी
कांटो से नजर हटा के तो देखो।
इस धरा पर
रोज नए गुलशन महकते है।
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