*खुद पर विजय पाने के लिए*
*खुद पर विजय पाने के लिए*
दूसरों की बुराई करने से पहले देख लेना चाहिए
कि हम में कोई बुराई तो नहीं है अगर है तो उसे दूर करना चाहिए दूसरों की निंदा या
बुराई करने में हम जितना समय देते हैं उतना अपने आत्म उत्कर्ष में लगाना चाहिए तब
हमें एहसास होगा कि हम सफलता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं संसार को जीतने की इच्छा करने
वाले मनुष्य पहले अपने आप को जीतने की चेष्टा करते हैं यदि तुम ऐसा कर सको तो 1
दिन तुम्हारा विश्व विजेता बनने का सपना पूरा होकर रहेगा।
आत्मिक चिंतन करना अनिवार्य है जो लोग आत्मिक
चिंतन से दूर होकर कार्य में लगे रहते हैं वह अपने कार्यों से अभिमान में डूब जाते
हैं उनके कार्यों से लाभ ना होकर हानि होती है क्योंकि उन्हें लगता है कि मेरे
कार्यों की प्रशंसा हो रही है आत्म चिंतन के बिना मनुष्य में विनीत भाव (सेवा भाव)
नहीं आता और उसमें अपने आप को सुधारने की क्षमता नहीं रह जाती,व्यक्ति आत्मिक
चिंतन के बिना गलती पर गलती करता चला जाता है अगर हम वास्तविक अपना विकास करना
चाहते है,तो हमें आत्मिक चिंतन करना होगा हम अपनी संस्कृति व विचारधारा में
व्याप्त कुरीतियों को दूर कर सकते हैं अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं यह कार्य
आत्मिक चिंतन से ही संपन्न हो सकता है यदि हम शांति सामर्थ्य शक्ति चाहते हैं,तो
आत्म चिंतन (अंतरात्मा) का सहारा पकड़ना होगा आप सारे संसार को धोखा दे सकते हो
किंतु अपनी आत्मा को धोखा नहीं दे सकते हो, यदि आप प्रत्येक कार्य में अपने
आत्मचिंतन (अंतरात्मा )की अनुमति प्राप्त कर ले तो आपके प्रत्येक कार्य में प्रगति
नजर आएगी दुनिया भी विरोध कर ले तो भी आपको सफलता प्राप्त करने से नहीं रोक पाएगी।
जब भी कोई मनुष्य अपने अंदर छिपे अद्वितीय रहस्य को समझने लगता है तो उसका कहीं ना कहीं आगे जाकर विकास होना शुरू हो जाता है अपने मन में सबके लिए सद्भावनाए रखना चाहिए दूसरों की भलाई जितनी हो सके उतनी करना चाहिए, अपनी वाणी को केवल सत्य प्रयोजन के लिए ही बोलना चाहिए यदि आवश्यक ना हो तो मौन रहना ही उचित है। भगवान का स्मरण करते रहना चाहिए व अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहना चाहिए ! प्रतिकूल परिस्थितियों में विचलित नहीं होना चाहिए अपने मनुष्य जीवन को सफल बना
लेना ही सच्ची दूरदर्शिता व बुद्धिमत्ता है और यही बुद्धिमत्ता ही सफलता कि गारंटी है।
उठो! जागो ! रुको मत!। जब तक कि लक्ष्य न प्राप्त हो जाए। यदि कोई आपकी बुराई करे निंदा करें या गुस्सा करे तो उसे सहन करने की शक्ति आपके पास होना चाहिए,क्योंकि इससे आपके और उसके बीच बैर नहीं पनपता,हर बुरी स्थिति व समय का सबसे अच्छा उत्तर है मौन! क्योंकि जो अपनी योजना (लक्ष्य) पर कार्य कर रहा होता है उसे अपने आंतरिक वातावरण से युद्ध लड़ना पड़ता है इंसान बाहरी परिस्थितियों से नहीं बल्कि आंतरिक परिस्थितियों से हारता है और इन परिस्थितियों पर विजय पाने का रास्ता सिर्फ मोन है! आप शांत रहेंगे तो हर स्थिति को भाप सकते हो यदि स्थिति सकारात्मक होगी या नकारात्मक आप अपने आंतरिक प्रभाव से उसका सामना कर सकते हो।
जो दूसरों की आलोचनाओं से चिढ़ता है उसकी मानसिक शक्ति क्षीण हो जाती है जब भी किसी भी कार्य में घबराहट,थकावट और निराशाए आए तो आत्म अवलोकन जरूर करें, व मौन होकर उसका रास्ता जरूर खोजें आप अपनी शक्ति के हिसाब से कार्य करो , तब तक आत्मसमर्पण मत करो जब तक कि आप अपनी तरफ से और कोशिश न कर चुके हो, कहीं ना कहीं हमें लगता है कि ये कार्य न हो सकेगा तो उसको करने से पहले आत्मालोकन जरूर करें, कोई ना कोई रास्ता जरूर निकल आएगा, किसी भी घटना से हतोत्साहित ना हो क्योंकि तुम्हारा अपने कर्मों पर अधिकार हो सकता है दूसरों के कर्मों पर नहीं।
किसी की आलोचना ना करें, किसी से आशा न करें
किसी से भय न करें सब अच्छा ही होगा इन सभी चीजों से अनुभव आता है तुम दृढ़ रहो।
आप अपने मार्गदर्शन के लिए दुनिया की ओर नहीं
देखो बल्कि अपने आपकी और देखो, दूसरों को दोष देने से अच्छा है अपने दोष को देखना।
कभी-कभी आप सफलता प्राप्त करने के बाद व शक्तिशाली होने के बाद दूसरों की
स्थितियों की अवहेलना शुरू कर देते हो, जो कि अहंकार का ही रूप है इस सब से सावधान
रहो अपना आत्म साक्षात्कार करो आत्माअवलोकन, आत्मचिंतन करो, और अपने मन और हृदय की
संपूर्ण बागडोर ईश्वर को सौंप दो और ईश्वर को आप को संचारित करने दो क्योंकि जब हम
अपने आप को ईश्वर (अंतरात्मा) को सौंप देते हैं, तो हर स्थिति में हम
सकारात्मक व्यवहार करते हैं,जो हमें सफलता के
लिए अति आवश्यक है मार्गदर्शन के लिए दुनिया नहीं बल्कि अपनी और देखो तुम्हारा मन
तुम्हें दृढ़ बनाएगा तुम्हें आत्म साक्षात्कार कराएगा और तुम्हें लक्ष्य तक ले
जाएगा।
आप आत्मअवलोकन द्वारा दुनिया को हिलाने की
शक्ति रखते हो, प्रत्येक
क्षण और अवसर से लाभ उठाओ, समय निकला जा रहा है अपने आत्मबल से अपनी योजना को
पूर्ण करने में लग जाओ, जब तक लक्ष्य तक ना पहुंच जाओ आलोचना से अपने मन को दुखी
ना करो मनुष्य नहीं बल्कि ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखो, वो तुम्हें रास्ता दिखाएगा
व नए–नए विचार तुम्हारे अंदर पैदा करेगा।
संसार के सभी बिजनेसमैन महापुरुष शुरू में
साधारण श्रेणी,योग्यता,क्षमताओं के व्यक्ति रहे हैं इतना होने के बाद भी इन्होंने
अपने प्रति हीन भावना व निराशा पैदा नहीं होने दी क्योंकि इनके पास आत्मविश्वास व
बल की शक्ति थी कितनी भी प्रतिकूल परिस्थितियां क्यों ना हो वे लक्ष्य से कभी
विचलित नहीं हुए अल्प योग्यता व साधन ना होने के बाद भी ये डटे रहे और अपनी योजना
(लक्ष्य) को पाकर ही लगातार सीखते रहे।
आपको पता है आपके मन को क्या-क्या विचलित करता
है और तनाव पैदा करता है? आप में तनाव पैदा करता है अस्त-व्यस्त जीवन जीना,
जल्दबाजी करना, रात दिन सिर्फ व्यस्त रहना, अपने लिए समय ना निकालना। यदि आप तनाव
रहित जीवन यापन करना चाहते हो तो आप योजना रूपी कार्य करें, अपना टाइम टेबल बनाए,
विवेकपूर्ण, ईमानदार, सहनशीलता व सज्जनता और नियमितता व सुव्यवस्था से भरा जीवन
जिए, आपको आपकी योजना (लक्ष्य) से साक्षात्कार कराएगा तनाव रहित होने के लिए बहुत
सारे कार्य करने की अपेक्षा एक कार्य निर्धारित करें और उसे पूरे मनोयोग से करें
उसे आधा अधूरा ना छोड़े क्योंकि यह हमें तनाव पैदा करता है। श्रम व समय की बर्बादी
करता है, मन में खींज उत्पन्न होती है।
मेहनत व विचारों के संतुलित प्रयोग से व्यक्ति
का समय का अपव्यय रुक जाता है, और सफलता प्राप्त करने में विचार आपका सहयोग करता
है कोई भी कार्य करते समय मन में सकारात्मक विचार अति आवश्यक है यही सफलता का मूल
मंत्र है।
यदि कोई आप के विषय में आप की योजना के बारे
में आपकी आलोचना करता है तो उस पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है यदि कोई आपको
सपने (कल्पना) के पीछे दौड़ने वाला कहे तो उस और ध्यान देने की जरूरत नहीं है तुम
अपने व्यक्तित्व पर अडिग रहो, किसी व्यक्ति के कह देने से किसी की आपत्ति से आप
अपना आत्म
विश्वास कभी मत डगमगाने देना यदि आप अपनी
अंतरात्मा की सुनते रहोगे तो आगे बढ़ते रहोगे,देर से ही सही दुनिया आपको रास्ता
देगी आपका सम्मान करेगी।
यदि कोई परिस्थितियां हमारे अनुकूल नहीं है,कोई
हमारी सहायता नहीं करता,कोई मौका नहीं मिलता यह सभी बातें निरर्थक है।अपने दोषों
को दूसरों के ऊपर थोपने के लिए यह बातें करना अपने मन को तसल्ली देना है दूसरों को
सुखी देखकर ईश्वर की न्याय पर उंगली नहीं उठाते क्योंकि हम यह नहीं देखते जो सुखी
है सफल है उन्होंने अपने कार्य पूरे किए,पूरे मनोयोग से,इसलिए वे सफल है आज आप
अपनी आत्मशक्ति जगाएं और ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखें ईश्वर हर चीज समय पर आपके
पास भेज देगा।
जब भी आप का चित्र स्तर ना हो तो आपको असफलता ब
निराशा चारों ओर मंडराते दिखती है। जब तक आप पुराने व गलत विचारों को ना बदल दे,
तब तक आप अपने अनुकूल स्थिति का निर्माण नहीं कर सकते तब तक आप उन्नति नहीं कर
सकते यदि आप अपनी वर्तमान अप्रिय
परिस्थितियों से छुटकारा पाना चाहते हो तो अपनी मानसिक स्थिति को दूर भगाओ, अपने
अंदर आत्मविश्वास जागृत करो।
अपने दोष दूसरे पर नही थोपे जाते। हमारी
शारीरिक मानसिक स्थिति के लिए दूसरा नहीं वरन हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं अपने में
सुधार लाने के लिए हमें शारीरिक व मानसिक तौर पर मजबूत बनना होगा हमें दूसरों से
यह अपेक्षा नहीं करना चाहिए कि सभी हमारे कहे अनुसार चलेंगे यदि हमारी अपेक्षा पर
वे खड़े नहीं उतरे तो हमें मानसिक तनाव होता है निरर्थक उलझनो में फंसे रहते हैं।
हमें दूसरों के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं
करना है उन्हें अपना कार्य शांतिपूर्वक करने दें किसी भी व्यक्ति के ऊपर हावी ना
हो और हर किसी को खुश करने के चक्कर में अपना समय और शक्ति को जाया ना करें! आप
बदलती स्थिति में तैयार रहें सुख, सफलता, लाभ, प्रगति, वैभव आदि मिलने पर अहंकार
में ना आएं कह नहीं सकते यह स्थिति कब तक रहे इसलिए रोने, खींजने व निराश होने से
अपनी शक्ति को नष्ट ना करें। समय परिवर्तनशील है उसके अनुरूप ढालने में, विपन्नता
को सुधारने व परिस्थितियों से तालमेल बिठाने में अपने दिमाग को लगाया जाए, तो अधिक
लाभदायक होगा अगर आप बार-बार असफल हो रहे हो तो शोक मत करो क्योंकि हर बार आपका
अनुभव बढ़ जाता है और शुरुआत शून्य से नहीं बल्कि अनुभव से होती है निरंतर अपना
कर्तव्य करते रहो आज नहीं तो कल तुम सफल हो जाओगे।
सफलता के लिए दूसरों के सामने हाथ मत जोड़ो,
क्यों की यथार्थ में भी इतनी शक्ति नहीं है जो तुम्हारी सहायता कर सकें, जो अपनी
सहायता करता है उसकी ईश्वर भी सहायता करते हैं तुम स्वयं अपने मित्र व शत्रु हो तुम्हारा
मन सकारात्मक सोचेगा तो दोस्त बनकर सहायता करेगा, यदि तुम्हारा मन नकारात्मक
सोचेगा तो वह दुश्मन की तरह कार्य करेगा, यदि आप अपना दृष्टिकोण बदल दोगे तो दूसरे
ही क्षण आप सफलता की राह में आगे बढ़ सकते हो।
यदि व्यक्ति के अंदर लगन हो तो सो गुना काम करा
लेती है, कभी-कभी अपने कार्य से लोगों को आश्चर्य में डाल देती है,लगन व्यक्ति को
साहित्य लिखने से लेकर बड़ा व्यवसाय, व संगठन खड़ा करने तक कार्य करा लेता है यदि
हमने लगन से जी चुराया तो घटिया आदमी होकर के रह जाते हैं।
किसी के दोषों को देखने और उन पर बात करने से अच्छा
है पहले अपने दोषों की ओर जरूर देखें यदि हम अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं कर सकते
तो दूसरों की वाणी पर भी नियंत्रण नहीं कर सकते, सबसे पहले हमें अपने घर को साफ
करना चाहिए उसके बाद दूसरे के घर की सोचना चाहिए यदि आप अपने घर को अपने को स्वच्छ
बनाना चाहते हो तो आचरण में नम्रता,साधुता, सरलता,ये सब लाए। दूसरे आपके साथ
क्या-क्या व्यवहार करते हैं इसकी चिंता ना करें,अपना पूरा फोकस तुम आत्म उन्नति
में लगाओ यदि इस तथ्य को समझ लिया तो एक बड़ा खजाना पा लिया आपने।
यदि आप किसी योजना लक्ष्य और उद्देश्य पर कार्य
कर रहे हो और सफलता की राह में चल पड़े हो तो लोभ के झोंके, नाम के झोंके,यश के झोंके से बच
कर रहना, क्योंकि यह झोंके आपको गलत राह पर चलने को मजबूर कर सकते हैं, बहुत से
व्यक्ति जो इन राह पर चलते हैं वह अपनी योजना (लक्ष्य)से भटक कर ना जाने कौन सी
राह चल पड़े, आपको अपनी इसी मन: स्थिति को याद करना है और अपनी इस योजना पर फोकस
करना है जहां आपने परिश्रम करने के प्रति उमंग व तरंग पैदा की थी।
एक दिन हम लक्ष्य जरूर पाएंगे हमें अपने मन को
सदा कार्य में लगाए रखना होगा इसे खाली ना रहने दो, आपके पास बड़ा लक्ष्य है इसे
ऐसे ही जाया ना होने दो!
धैर्य और आशा रखो,सभी परिस्थितियों का सामना
करो, यदि आवश्यकता पड़े तो समस्त संसार को चुनौती दो अपने बल पर खड़े रहो इसके
परिणाम में हानि नहीं उठानी पड़ेगी तुम्हें सिर्फ महान कार्य करना है आपको
आत्मअवलोकन करके अपनी योजना को सफल बनाना है, आप पहले से जानते हो कि
धर्म,अध्यात्म व राजनीतिक,समाज व अन्य क्षेत्रों के उत्थान के लिए बहुत सी योजनाओं
की बातें बोली
जाती है परंतु इनकी कथनी व करनी में अंतर होता
है दोनों के कहने और करने में धरती और आसमान का अंतर है हमें इस समय का इंतजार न
करना है हमें अपने लक्ष्य को पाने में संपूर्ण ताकत झोंकनी पड़ेगी जो हमारी योजना
और सेवा में हमारी सहायता करेगी।
अकेले चलो महान व्यक्ति (लक्ष्य) योजना भी महान
लेकर चलते हैं, वे अकेले चलते जरूर
है,परंतु दूर तक चलते हैं उन्होंने अकेले होने के बावजूद भी महान कार्य संपन्न
किया क्योंकि वे आत्मसाक्षात्कार के बलबूते ही कोई कार्य करते हैं दूसरों से कभी
सहायता ही नही मांगी,उन्होंने स्वयं बो कार्य कर दिखाया जो दूसरे कई लोग मिलकर
नहीं दिखा पाए।
अकेलापन जीवन का एक सत्य है, किंतु अकेलेपन से
हमें अपनी खबर मिलती है, हम अपने आत्मअवलोकन से दुनिया को समझ सकते हैं, जितनी भी
महान हस्तियां हुई है उन्हे नए नए विचार एकांत में आए हैं अकेलापन को एकांत में
बदले और डूब जाएं अपने मन के बवंडर में फिर आपको विचारों का खजाना प्राप्त होगा जो
बाद में चलकर आप की योजना व लक्ष्य को आपके कदमों में डाल देगा एकांत हमें साहस
देता है कर्तव्य से विमुख नहीं करता व उत्तरदायित्व लेने में हमारे विवेक को
सुधारता है और हमारे पौरुष को पुकारता है जो हमारी योजना के निर्माण के लिए कांटों
से भरी राह में मार्गदर्शन करता है और अंधेरे में भटकने से हमारे विवेक के द्वारा
प्रकाश का अवलोकन करता है। हमारी अंतरात्मा,हमारा साहस, हमारा अकेलापन, एकांतवास
बनता है जो हमारी योजना को फलित करता है।
यदि हमारे मन में पुरानी दुखद स्मृतियां रहेंगी
तो हम अपना श्रेष्ठ देने में दूर रहेंगे, किसी की अप्रिय बातों को दूर करना एकांत
में आसान है अपने शरीर व मन को निर्मल रखें किसी ने आपका दिल दुखाया है तो उसको
माफ कर दें अपने मन को समझाएं कि वह बड़ा करने के लिए है।
आपको लगता है कि आपकी कोई नहीं सुनता तो इसमें
दोष उसका नहीं है बल्कि हमारा है,क्योंकि दुनिया सुनना कम देखना ज्यादा पसंद करती
है हमें अपने ऊपर दारोमदार लेकर कर्मशीलता में लगना है
आप थोड़े दिनों में देखोगे कि लोग बिना कहे
आपकी ओर खींचे आ रहे हैं इसलिए कहिए कम करिए ज्यादा, क्योंकि बोलने से ज्यादा कर्म
का प्रभाव ज्यादा और स्थाई होता है।
हमारी असफलताओं का कारण है, अपने विचार व
दृष्टिकोण को दूसरे के ऊपर जबरदस्ती थोपना परंतु इससे योजना सफल नहीं होती बल्कि
अपने विचार व दृष्टिकोण को कर्म के हथियार से धीरे-धीरे लोगों को बताना आपके
लक्ष्य में सफलता की नींव को मजबूत करेगा, तुम्हें प्रतिकूलताओ से नहीं डरना है जो
अनुकूल लगे उसे करने में सर्वस्व लगा दो जीवन को उच्च बना सकोगे।
हमें दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए क्योंकि
जिस दिन तुम्हें अपनी इंद्रियों पर भरोसा हो जाएगा उसी दिन अंतरात्मा कहेगी कि हम
सब कुछ कर सकते हैं यदि हमारी योजना सही और दूसरों को लाभ पहुंचाने वाली है,जो
व्यक्ति दूसरों की सहायता पर अपनी योजना के लिए यात्रा करता है वह सदैव अकेला रह
जाता है हमें अपना संचालक स्वयं बनना है।
अपनी बागडोर स्वयं के हाथों में लेना है, प्रेम
ही एक ऐसी शक्ति है जो प्रत्येक दिशा में हमारा मार्गदर्शन करती है बिन प्रेम के
हम किसी के विचारों में परिवर्तन नहीं ला सकते हैं, यदि हम किसी दूसरे पर विजय
पाना चाहते हैं और उसको अपनी विचारधारा में बहाना चाहते हैं और उसके दृष्टिकोण को
बदलना चाहते हैं तो प्रेम का सहारा ही दूसरे के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने के
लिए काफी है हमारी (न तर्क व न बुद्धि के साथ) प्रेम और
सहानुभूति पूर्ण बातें हमें दुनिया बदलने में विवश करती हैं।।
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